उपन्यास की परिभाषा व हिन्दी उपन्यासों की विचारधाराएँ : एक अध्ययन
Authors: सोमवीर
Country: India
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Abstract: साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है । किसी भी समाज की सम्पूर्ण झलक उसके साहित्य में उपलब्ध होती है । मानव जीवन के सम्पूर्ण जीवन की विभिन्न घटनाओं उसके सुख-दुःख, हर्ष-विषाद, आकर्षण-विकर्षण आदि की मुक्त अभिव्यक्ति साहित्य में मिलती है । इस मुक्त अभिव्यक्ति को हिन्दी साहित्यकारों ने विभिन्न विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है । हिन्दी गद्य विधाओं में उपन्यास ऐसी विधा है जिसके माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की झलक प्राप्त होती है । इन उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक यथार्थ के केवल बाहरी पक्षों को नहीं बल्कि सामाजिक यथार्थ को झेल रहे लोगों के हृदय की भावनाएँ, विभिन्न मनोस्थितियां भी उजागर होती हैं । साहित्य की प्रमुख गद्य विधाओं में उपन्यास भी एक है । यह साहित्य का प्रमुख अंग है । यह साहित्य का नया अंग होने के बाद जन साधारण के बीच लोकप्रिय है । उपन्यास में कथा होती है, घटनाएँ होती हैं, कल्पनाएँ, यथार्थ आदि का समावेश होता है ।
Keywords:
Paper Id: 1662
Published On: 2018-06-16
Published In: Volume 6, Issue 3, May-June 2018
Cite This: उपन्यास की परिभाषा व हिन्दी उपन्यासों की विचारधाराएँ : एक अध्ययन - सोमवीर - IJIRMPS Volume 6, Issue 3, May-June 2018.