पं. लखमीचन्द के साहित्य में पारिवारिक चेतना : एक अध्ययन
Authors: पुनीता
Country: India
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Abstract: पंडित लखमीचन्द के अनुसार परिवार समाज की एक महत्त्वपूर्ण इकाई है। मनुष्य का जन्म परिवार में होता है तथा परिवार में ही वह पला-बड़ा अर्थात् पालन-पोषण होता है। एकसुखी परिवार का निर्माण-अच्छी स्त्री, आज्ञाकारी पुत्र तथा परिश्रमी व्यक्ति के द्वारा होता है। साधारण शब्दों में, “माता-पिता और सन्तान, उनके योग से ही ‘परिवार’ बना है।” परिवार की वृद्धि के साथ-साथ परिवार में भी उसके सदस्य अपने-अपने कर्त्तव्यों को समझते हैं और उनका पालन करते हुए निर्धारित कार्यों को कहते हैं। डॉ. ज्ञानवती अरोड़ा के अनुसार, “परिवार मानव समाज की प्राचीनतम एवं महत्त्वपूर्ण संस्था है। परिवार सामाजिक जीवन की प्रारंभिक इकाई है। परिवार के क्रमशः विकास के साथ ही सामाजिक संबंधों का विकास होता है।”
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Paper Id: 230285
Published On: 2023-08-07
Published In: Volume 11, Issue 4, July-August 2023
Cite This: पं. लखमीचन्द के साहित्य में पारिवारिक चेतना : एक अध्ययन - पुनीता - IJIRMPS Volume 11, Issue 4, July-August 2023.