उराँव आदिवासियों का करम कथा
Authors: जोहे भगत, डॉ. हरि उराँव
Country: India
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Abstract: करम कहानी में कहा जाता है कि करमा और धरमा दो भाई थे। एक बार राज्य में भयंकर अकाल पड़ा तब करमा और धरमा अपने रोजी-रोटी की खोज में परदेश जाने का निश्चय किये। दोनों भाई परदेश चले गये। उन लोगों को समान उतारने और चढ़ाने का काम मिला। उसे मंलग लदना कहते हैं चूंकि वे बहुत परिश्रमी थे, इसलिए थोड़े ही दिनों में दोनों ने बेसुमार धन कमाये। कुछ दिनों के बाद उन्हें अपने घर-परिवारों की याद सताने लगी। इसलिए अब वे अपने देश लौटने का मन बना लिये और वहाँ से निकल पड़े। रास्ता लम्बा और कठिन तो था ही साथ-साथ कमाया हुआ धन का बोझ भी था रास्ता में चलते-चलते थक कर चूर-चूर हो गये। इसलिए रास्ते में ही कहीं-कहीं पड़ाव कर काली रात भी काटनी पड़ी। दूसरे दिन जब सुबह हुआ तो वे दिशा-मैदान के लिए इधर-उधर हुए। उसी समय धरमा को अनुपस्थित पाकर करमा उसका नजायज फायदा उठाया । कहते हैं कि छोटा भाई धरमा का थैला से कुछ धन चुरा कर अपना थैला में डालकर धरमा के साथ धोखा का काम किया। धरमा चूंकि धार्मिक विचार का व्यक्ति था, इसलिए अपने बड़ा भाई करमा पर तनिक भी संदेह नहीं करता था। वह अपवित्र काम उसी आराध्य देव-वृक्ष करम के नीचे किया । इस तरह अब और चलते-चलते वे अपने गाँव के बिल्कुल नजदीक पहुँच गये, लेकिन इतना थक गये थे कि और आगे एक कदम भी बढ़ना मुश्किल हो गया। अन्ततः गाँव के सीमान में ही फिर से डेरा डालना पड़ा।
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Paper Id: 230881
Published On: 2024-07-30
Published In: Volume 12, Issue 4, July-August 2024
Cite This: उराँव आदिवासियों का करम कथा - जोहे भगत, डॉ. हरि उराँव - IJIRMPS Volume 12, Issue 4, July-August 2024.