घंटी की ध्वनि का व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव
Authors: Dr Vandana Shukla, Shiv Prasad Shukla
Country: India
Full-text Research PDF File:
View |
Download
Abstract:
ध्वनि एक तरंग के रूप में हमारे चारों ओर विद्यमान है, जो वायु या अन्य माध्यमों से फैलती है। ध्वनि, व्यक्ति के मस्तिष्क में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न कर सकने की क्षमता रखती है जैसे- भावनाएँ, विचार, चिंतन और स्मृति। ध्वनि हमेशा से ही विश्राम करने, ध्यान लगाने अथवा ध्यान के लिए अनुकूल मानसिक स्थिति उत्पन्न करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है। ध्वनि के विभिन्न रूप होते हैं, जिनमें से एक है "घंटी की ध्वनि"।
भारतीय वैदिक परंपराओं में प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठानों में फिर वो चाहे किसी पूजा का प्रारंभ हो, या समापन हो, किसी देवी-देवता की आरती हो, ध्यान हो या हवन हो आदि में सदैव ही घंटी और उसकी ध्वनि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखती रहीं हैं । घंटी की मधुर एवं सुखदायक ध्वनियाँ एक पवित्र वातावरण का निर्माण करती हैं, जो शांति एवं जुड़ाव की गहरी भावना को प्रोत्साहन देती हैं। जब भी हम मंदिर जाते हैं तो सर्वप्रथम हम मंदिर की घंटी/घंटा बजाते हैं। इस विषय में विज्ञान का भी कहना है कि घंटी की ध्वनि से जो कंपन उत्पन्न होता है वो हमारे मस्तिष्क में एकता उत्पन्न करता है और मन से सभी प्रकार के नकारात्मक विचारों को दूर करता है। यह एक भारतीय दार्शनिक सिद्धांत है जिसमें ध्वनि एवं सर्वव्यापी चेतना के मध्य अभिन्न संबंध बताया गया है।
प्रस्तुत शोध आलेख का उद्देश्य घंटी की ध्वनि का व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभावों की व्याख्या करना एवं इसका मनोवैज्ञानिक महत्व बताना है।
Keywords:
Paper Id: 232053
Published On: 2025-01-29
Published In: Volume 13, Issue 1, January-February 2025