गांधीवादी विचारधारा और पर्यावरण संरक्षण
Authors: डॉ. रेखा पाण्डेय
Country: India
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Abstract: महात्मा गांधी की विचारधारा अहिंसा, सत्य, सादगी और स्वावलंबन पर आधारित है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। गांधीजी का विश्वास था कि मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने सादा जीवन जीने, संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने और उपभोक्तावाद से बचने पर जोर दिया। उनके विचार "सर्वोदय" और "ट्रस्टीशिप" सिद्धांत प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और सामूहिक भलाई की भावना को प्रेरित करते हैं।आज के दौर में, जब औद्योगीकरण और भौतिकवाद के कारण पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है, गांधीवादी विचारधारा हमें स्थायी विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) की ओर ले जा सकती है। गांधीजी का "छोटे उद्योगों" और "स्थानीय संसाधनों" का समर्थन, प्रदूषण को कम करने और प्रकृति के संरक्षण में सहायक हो सकता है। उन्होंने आत्मनिर्भरता और नैतिक उपभोग को बढ़ावा दिया, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम संरक्षण संभव हो सके।ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई, जल संकट और जैव विविधता के ह्रास जैसी समस्याओं के समाधान के लिए गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाना आवश्यक है। स्थानीयता, पुन:चक्रण (रीसाइक्लिंग) और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जैसे विचारों को व्यवहार में लाकर पर्यावरण संतुलन स्थापित किया जा सकता है। गांधीजी की सोच हमें सिखाती है कि धरती हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है, लेकिन हमारे लालच को नहीं। अतः, गांधीवादी विचारधारा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं।
Keywords: गांधीवादी विचारधारा, पर्यावरण संरक्षण, सादगी, सतत विकास, सर्वोदय, ट्रस्टीशिप, आत्मनिर्भरता, नैतिक उपभोग, जैव विविधता, स्थायी जीवनशैली।
Paper Id: 232210
Published On: 2023-07-04
Published In: Volume 11, Issue 4, July-August 2023