अम्बेडकरवादी आत्मकथाओं के विविध आयाम एवं अनुभूति
Authors: नीरू देवी, प्रो॰ दुर्गेष राय
Country: India
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Abstract: अम्बेडकरवादी आत्मकथाये व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन एवं अनुभव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। जो यह दर्षाती है कि व्यक्ति को जीवन जीने में कितनी कठिन परिस्थितियों से गुजरना पडता है। ये अम्बेडकरवादी आत्मकथाये न केवल व्यक्तिगत अनुभवें को व्यक्त करती है बल्कि अम्बेडकरवादी समुदाय के सामने आने वाली सामाजिक सांस्कृतिक और राजनैति चुनौतियों को भी उजागर करती है। अम्बेडकरवादी दलित आत्मकथायें भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग है। उन आत्मकाथाओं के माध्यम से दलित लेखक अपनी मूक आवाज को बुलंद करता है। और समाज में व्याप्त जातिगत भेद भाव एवं वर्ग उत्पीडन के खिलाफ आवाज उठाते है और हिन्दी अम्बेडकर आत्मकाथाओं में विविध आयाम देखने को मिले है। इन आत्मकाथाओं के प्रमुख आयाम इस प्रकार है। जैसे कि व्यक्तिगत अनुभव मानसिक शारिरिक, एवं सामाजिक कुंठा जीवन की तालाष स्त्री शोषण, वर्णभेद अम्बेडकरवादी आत्मकाथाओं में वर्णित अंधविष्वास इत्यादि है। ये आत्मकाथाओ व्यक्तिगत कहानियाँ नहीं बल्कि समाज के हाषियें पर खडे लोगो पीडा और संघर्ष को दर्षाती है। हिन्दी दलित आत्मकाथाये भारतीय साहित्य का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये आत्मकथाये न केवल दलित समुदाय की आवाज को बुलेद करती है बल्कि समाज के जातिगत भेद भव और असमानता के गम्भीर मुद्दो पर गम्भीरता से विचार के लिए प्रेरित करती है। इन आत्मकाथाओ के अध्ययन से दलित समुदाय के इतिहास संस्कृति सामाजिक संघर्षो को बेहतर ढंग से समझ सकते है।
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Paper Id: 232329
Published On: 2024-10-18
Published In: Volume 12, Issue 5, September-October 2024