International Journal of Innovative Research in Engineering & Multidisciplinary Physical Sciences
E-ISSN: 2349-7300Impact Factor - 9.907

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भारत में नगरीकरण आर्थिक विकास एवं भौगोलिक विकास का सूचक समस्याएं एवं समाधान

Authors: Mahipal Gurjar

Country: India

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Abstract: मानव सभ्यता के विकास के विभिन्न चरणों में नगर सभ्यता और संस्कृति के प्रमुख केन्द्र रहे हैं। भारत सहित अन्य विकासशील देशों में भी नगरीय जनसंख्या के अनुपात में नागरिक सुविधाओं (भोजन, जल, आवास, सफाई, परिवहन) में बढ़ोतरी नहीं हो पायी है जिसके कारण नगरवासियों के सामान्य जीवन स्तर में गिरावट की प्रवृत्ति पायी गई है। नगर में भीड़-भाड़, गंदगी, बीमारी, बेरोजगारी तथा अनेक प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक और पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती है जो नगरीय जीवन की श्रेष्ठता को सुरक्षित रखने में बाधक होती है। अंत नगरीकरण या नगरीय विकास के प्रायः सुख समृद्धि तथा सामाजिक-आर्थिक विकास का सूचक माना जाता है। नगर विविध प्रकार के व्यवसायों (उद्योग, व्यापार, परिवहन एवं संचार सेवाएं आदि), स्वास्थ्य सेवाओं, मनोरंजन, उच्च जीवन स्तर आदि का भी केन्द्र होता है जिसके कारण वह अपने आस-पास ही नहीं बल्कि दूरवर्ती क्षेत्रों से भी मनुष्यों को अपनी ओर आकृष्ट करता है। नगरीय समस्याओं का मूल कारण नगरों में आवश्यकता से अधिक जनसंख्या का संकेन्द्रण तथा नगर के अनियोजित विस्तार एंव विकास को माना जाता है। वास्तव में नगर में जनसंख्या का केन्द्रीकरण इतनी शीघ्रता और अनियंत्रित ढंग से होता है कि वहंा अपेक्षित नागरिक सुविधाओं का विकास नहीं हो पाता है। जिसके कारण अनेक प्रकार की समस्याएँ जन्म लेती हैं।

Keywords: विकासशील देश, संकेन्द्रण, अनियोजित विस्तार मानव सभ्यता, नगरीकरण, जनसंख्य


Paper Id: 231815

Published On: 2024-11-07

Published In: Volume 12, Issue 6, November-December 2024

Cite This: भारत में नगरीकरण आर्थिक विकास एवं भौगोलिक विकास का सूचक समस्याएं एवं समाधान - Mahipal Gurjar - IJIRMPS Volume 12, Issue 6, November-December 2024.

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